64 YOGINI OF MATA

                                 

चौसठ योगिनी

जब माता महाकाली राक्षसों से युद्ध कर रही थी उसी  समय  अनेकों  राक्षसों का नाश करने के लिए माता के शरीर से 64 योगिनी  उत्पन्न हुई  । चौसठ योगिनी  ने  बहुत सारे राक्षसों का वध किया और उसके बाद माता में ही समाहित हो गई  ।  यह  योगिनी माता महाकाली का ही प्रतिरूप है अतः उन्हें माता  मानकर ही उपासना या साधना करनी चाहिए ।   यह माताएं हर प्रकार का वैभव, शक्ति, आनंद ,गुप्त विधाएं,  संपूर्ण ज्ञान, सभी प्रकार का सुख आदि  प्रदान करती हैं ।   अगर कोई साधक इनका गलत उपयोग करता है तो उसका अनिष्ट भी कर देती है।  अतः हमें किसी भी श्रेष्ठ गुरु से इनकी साधना की विधि जाननी चाहिए तथा गुरु के सानिध्य में भी इनकी उपासना करनी चाहिए ।  यह माताएं प्रसन्न होकर मनोवांछित फल दे देती हैं परंतु कुपित होने पर जान तक ले लेती है । इसीलिए बहुत ध्यान से इनकी उपासना गुरु के माध्यम से करनी चाहिए।   समस्त सिद्धियां इन्ही की कृपा से  प्राप्त होती हैं । 







  चौसठ योगिनियों के नाम 

1
 बहुरूपा
17
 छिन्नमस्तिका
 33
 करकरी       
49
 ज्वालामुखी
2
 तारा
18
 वृषवाहन
34
 सर्पश्या
50
 आग्नेयी
3
 नर्मदा
19
ज्वाला कामिनी
35
 यक्षिणी
51
 अदिति
4
 यमुना
20
 घटवारा
36
 विनायकी
52
 चन्द्रकान्ति
5
 शांति
21
 करकाली
37
 विंध्यवासिनी
53
 वायुवेगा
6
 वारुणी
22
 सरस्वती
38
 वीरकुमारी
54
 चामुण्डा
7
 क्षेमकरी
23
 बिरूपा
39
 माहेश्वरी
55
 मूर्ति
8
 ऐन्द्री
24
 कौवेरी
40
 अम्बिका
56
 गंगा
9
 वाराही
25
 भालुका
41
 कामायनी
57
 धूमावती
10
 रणवीरा
26
 नारसिंही
42
 घटाबरी
58
 गांधारी
11
 वानरमुखी
27
 बिराजा
43
 स्तुति
59
 सर्व मंगला
12
 वैष्णवी
28
 विकटानन
44
 काली
60
 अजिता
13
 कालरात्रि
29
 महालक्ष्मी
45
 उमा
61
 सूर्यपुत्री
14
 वैद्यरूपा
30
 कौमारी
46
 नारायणी
62
 वायु वीणा
15
 चर्चिका
31
 महामाया
47
समुद्रा
63
   अघोरा
16
 बेताली
32
 रति
48
 ब्राह्मी
64
 भद्रकाली

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